हिंदी साहित्य के महान कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन को लेकर बहुत मतभेद हैं आज इस पोस्ट में हम आपको गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म के वर्ष और जन्म स्थान के बारे में बताने का प्रयास करेंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोस्वामी जी को हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ कवि माना जाता है हिंदी साहित्य का यह महानतम कवि भक्ति काल के राम मार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि के रूप में भी प्रसिद्ध है।
तुलसीदास जी को हिंदी साहित्य में वह स्थान प्राप्त है जो स्थान वाल्मीकि जी और वेदव्यास जी को संस्कृत साहित्य में प्राप्त हुआ था।
गोस्वामी तुलसीदास जी कौन थे?
गोस्वामी तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के राम मार्गी शाखा के एक प्रतिनिधि कवि थे। इनके द्वारा अवधी भाषा में रामचरितमानस की रचना की गई थी। इस काव्य की रचना तुलसीदास जी के द्वारा 2 वर्ष और 7 माह में की गई थी।
इसके साथ साथ गोस्वामी तुलसीदास जी ने विनय पत्रिका, कवितावली, दोहावली, गीतावली, रामलला नहछू, वैराग्य संदीपनी, रामाज्ञा प्रश्नावली, जानकी मंगल और पार्वती मंगल, बरवै रामायण और कृष्ण गीतावली जैसी प्रमुख रचनाओं का निर्माण किया।
गोस्वामी तुलसीदास जी को हिंदी का जातीय कवि कहा जाता है बहुत से स्थानों पर इन के संदर्भ में समन्वय का कवि जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया है।
नाभादास तो गोस्वामी तुलसीदास जी से इतना ज्यादा प्रभावित थे कि उन्होंने गोस्वामी जी को कलीकाल का कालिदास जैसी संज्ञा दे डाली।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी को भारतीय जनता का प्रतिनिधि कवि कहा गया इनका अलंकार विधान बहुत ही शानदार है। अपनी रचनाओं में तुलसीदास जी ने अधिकतर उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा जैसे अलंकारों का इस्तेमाल किया है।
गौतम बुद्ध के बाद सबसे बड़ा लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास जी को माना जाता है ऐसी लोगों की धारणा है डॉ ग्रियर्सन के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास एशिया के सर्वोत्कृष्ट कवि हैं।
Tulsidas Ka Janm Kab Hua Tha
उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले के राजापुर गांव में वर्ष 1532 में गोस्वामी तुलसीदास का जन्म माना जाता है इनके जन्म के वर्ष का जो विक्रम संवत है उसे 1589 माना गया है।
इतिहासकारों में तुलसीदास जी का जन्म को लेकर काफी मतभेद है कुछ इतिहासकार तुलसीदास जी के जन्म का विक्रम संवत् 1554 मानते हैं। वही कुछ विद्वान इनके जन्म स्थान को उत्तर प्रदेश के एटा जिले के सोरों स्थान को मानते हैं।
तुलसीदास जी की प्रारंभिक जिंदगी
गोस्वामी तुलसीदास जी के पिताजी का नाम आत्माराम दुबे और माता जी का नाम हुलसी था ऐसी धारणा है कि हिंदी के इस महान कवि का जन्म अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ था जन्म लेते ही इनकी अवस्था 5 वर्ष के बच्चे के समान थी और इनके दांत भी निकले हुए हैं।
अनिष्ट की आशंकाओं की वजह से तुलसीदास जी को उनके माता-पिता ने त्याग दिया था इसके बाद इनका पालन-पोषण मुनिया नाम की एक दासी ने किया था।
तुलसीदास जी का बचपन बहुत ही कष्ट पूर्ण था इनके बचपन का नाम राम बोला था कम अवस्था में ही इनका विवाह कर दिया गया था इनकी पत्नी का नाम रत्नावली था जो पंडित दीनानाथ पाठक की बेटी थी।
तुलसीदास जी के गुरु
तुलसीदास जी के दो गुरु थे पहले आध्यात्मिक गुरु थे और दूसरे वह थे जिन्होंने इन्हें शिक्षा प्रदान की थी। गुरु नरहरिदास के सानिध्य में आकर तुलसीदास जी को राम भक्ति का मार्ग मिला।
बाबा नरहरिदास जी को ही तुलसीदास का आध्यात्मिक गुरु माना जाता है तुलसीदास जी ने अपनी शिक्षा काशी के शेष सनातन जी महाराज से प्राप्त की थी। गोस्वामी जी के शिक्षक गुरु शेष सनातन जी महाराज थे।
तुलसीदास जी का निधन
राम भक्ति में मगन तुलसीदास जी का निधन संवत 1680 तीर्थ स्थानों का भ्रमण करते हुए में काशी के गंगा घाट पर सावन शुक्ल सप्तमी को हुआ था।
इनकी मृत्यु के संबंध में एक दोहा बहुत ही प्रसिद्ध है जो नीचे दिया गया है –
संवत सोलह सो अस्सी,
असी गंग के तीर,
श्रावण शुक्ला सप्तमी,
तुलसी तज्यो शरीर।
स्वामी तुलसीदास
सकारात्मक ऊर्जा से भरे गोस्वामी तुलसीदास के पांच खास दोहे जिन्हे आपको भी पढ़ना चाहिए –
1- तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक। साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक।
महान कवि तुलसीदास जी का कहना हैं कि किसी भी विपदा से यह 7 गुण आपको बचाएंगे- 1.विद्या, 2.विनय, 3.विवेक, 4.साहस, 5.आपके भले कर्म, 6.सत्यनिष्ठा और 7.भगवान के प्रति आपका अटूट विश्वास।
2-सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु। बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।
बहादुर इंसान अपनी वीरता युद्ध के मैदान में शत्रु के सामने युद्ध लड़कर दिखाते हैं और कायर व्यक्ति लड़कर नहीं बल्कि अपनी बातों के बखान से ही वीरता दिखाते हैं।
3-आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह। तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।
जिस समूह में शामिल होने से वहां के लोग आपसे खुश नहीं होते और वहां लोगों की नजरों में आपके लिए प्रेम या सम्मान नहीं है, तो ऐसे स्थान या समूह में हमें कभी नहीं जाना चाहिए, भले ही वहां स्वर्ण बरस रहा हो।
4- तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर। बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर।
तुलसीदास जी कहते हैं कि मीठे बोल सभी ओर सुख का वातावरण पैदा करती हैं। यह हर किसी को अपनी और आकर्षित करने का यही एक कारगर मंत्र है इसलिए हमें कटु वाणी त्याग कर मधुरता से बातचीत करना चाहिए।
5- तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए। अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए।
तुलसीदास जी कहते हैं, भगवान पर भरोसा करें और किसी भी भय के बिना शांति से सोइए। कुछ भी अनावश्यक नहीं होगा, और अगर कुछ अनिष्ट घटना ही है तो वो घटकर ही रहेगी इसलिए व्यर्थ की चिंता और उलझन को छोड़कर अपनी खुसी में मग्न रहना चाहिए।
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अंतिम शब्द : तुलसीदास कौन थे? तुलसीदास का जनम कब हुआ था
आशा है आपको हमारे ब्लॉग से यह जानकारी मिल गयी होगी की तुलसीदास एक महँ कवी थे। उन्होंने अपना जीवन भगवन राम की भक्ति में समर्पित किया ऐसे ही जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग को पढ़ सकते है धन्यवाद।
जय श्री राम,
तुलसी जी के माता-पिता का क्या नाम था?
तुलसीदास जी के माता का नाम हुलसी दुबे और माता का नाम हुलसी दुबे था
गोस्वामी तुलसीदास जयंती कब है?
भारत में तुलसीदास जयंती 04 अगस्त को मनाई जाती है
तुलसीदास जी की मृत्यु कब हुई थी?
गोस्वामी तुलसीदास जी की मृत्यु 31 July 1623 को हुई थी