नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी आशा करता हूं आप सभी अच्छे होंगे आज के इस पोस्ट में हम मुंशी प्रेमचंद के जन्म के बारे में बात करेंगे और उनके बारे में कुछ अन्य जानकारी
जैसे उनके जन्म,मृत्यु, रचनाएं, उनकी शैली तथा उपन्यास के साथ-साथ उनके द्वारा लिखी गई कहानियों के बारे में विस्तार से आपको जानकारी देंगे। premchand ka janam kab hua tha और उनके बारे में जानने के लिए पूरा पढ़े
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 में वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में हुआ था इनको बचपन में धनपत राय के नाम से बुलाते थे उर्दू भाषा में इनकी रचनाओं मे नाम नवाबराय है।
मुंशी प्रेमचंद की माता का नाम आनंदी देवी तथा पिता का नाम अजायब राय था तथा उनकी पत्नी का नाम शिवारानी देवी था इनके दो पुत्र तथा 1 पुत्री थी।
जब मुंशी प्रेमचंद मात्र 7 वर्ष के थे तब इनकी माता आनंदी देवी तथा 9 वर्ष की अवस्था में इनके पिता का 1897 में देहांत हो गया था। इनका जीवन बहुत ही कष्ट में बीता परंतु उन्होंने बहुत ही साहस और परिश्रम से अपना अध्ययन जारी रखा।
मुंशी प्रेमचंद का पहला विवाह मात्र 15 वर्ष की अल्पायु में हो गया था उस समय प्रेमचंद कक्षा 9 में पढ़ते थे कुछ समय बाद पहली पत्नी को छोड़कर उन्होंने दूसरी शादी शिवारानी देवी से 1906 में की जो पेशे से एक साहित्यकार थी। प्रेमचंद की मृत्यु के बाद शिवारानी देवी ने उनके नाम पर प्रेमचंद्र घर के नाम से एक पुस्तक लिखी।
मुंशी प्रेमचंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मात्र 7 वर्ष की आयु में अपने पास के ही मदरसे में शुरू की उन्होंने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी और उर्दू भाषा को भी सीखा। 1898 में मुंशी प्रेमचंद ने मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद कुछ समय तक यह स्कूल में पढ़ाते रहें और साथ ही अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा।
मुंशी प्रेमचंद BA करने के बाद शिक्षा विभाग के सब डिप्टी इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त कियें गए। 1921 में असहयोग आंदोलन के कारण मुंशी प्रेमचंद ने इस सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया था।
मुंशी प्रेमचंद का देहांत 8 अक्टूबर 1936 को हो गया था।
मुंशी प्रेमचंद्र से संबंधित जानकारी: एक नजर
नाम | मुंशी प्रेमचंद |
जन्म | 31 जुलाई 1880 |
मृत्यु | 8 अक्टूबर 1936 |
पिता का नाम | अजायब राय |
माता का नाम | आनंदी देवी |
बचपन का नाम | धनपत राय श्रीवास्तव |
उर्दू की रचनाओं में नाम | नवाबराय |
पत्नी का नाम | शिवारानी देवी |
पुत्री का नाम | कमला देवी |
पुत्र का नाम | श्री पथराय और अमृतराय |
कुछ मुख्य रचनाएं | रंगभूमि, कर्मभूमि,गोदान, गबन, सेवा सदन, निर्मला,नमक का दरोगा, बड़े भाई साहब तथा पुस की रात |
साहित्य कला | आधुनिक काल के कवि |
भाषा | हिंदी और उर्दू |
विधाएं | कहानी,उपन्यास निबंध,नाटक |
शैली | वर्णनात्मक भावात्मक विवेचनात्मक |
संपादक | मर्यादा,जागरण, हंस,माधुरी |
साहित्य स्थान | आधुनिक काल में सर्वोच्च कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में |
मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय
मुंशी प्रेमचंद ने अपने पूरे जीवन काल में लगभग 300 से अधिक कहानियां तथा 1 दर्जन से अधिक उपन्यास लिखें उन्होंने हंस और जागरण नामक पत्र भी निकालें और मर्यादा, माधुरी नामक पत्रिका का संपादन भी किया।
मुंशी प्रेमचंद उर्दू की रचनाओं को नवाब राय के नाम से लिखते थे। मुंशी प्रेमचंद की सहानुभूति भारत के दलित लोग, मजदूरों,शोषित किसानों तथा नारियों के प्रति अधिक रही है।
मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं
प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में 20 से अधिक उपन्यासों की रचना की जिनमें से कुछ प्रमुख है जैसे रंगभूमि, कर्मभूमि,गोदान, गबन, सेवा सदन, निर्मला, नमक का दरोगा, बड़े भाई साहब तथा पुस की रात।
मुंशी प्रेमचंद का गोदान उपन्यास हिंदी भाषा का सबसे सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है। प्रेमचंद्र ने अपनी कहानियों का अनुवाद अनेक भाषाओं में किया।
भाषा
मुंशी प्रेमचंद्र की भाषा हिंदी और उर्दू थी। प्रेमचंद्र उर्दू से हिंदी भाषा में आए थे उनके मुहावरे और लोकोक्ति में उर्दू की जोड़ता अधिक मिलती है।
मुंशी प्रेमचंद्र की भाषा सरल,व्यवहारिक,मुहावरेदार एवं प्रभावशाली है इन्होंने अपनी भाषा पात्रों के अनुसार परिवर्तित की है।
मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियां
मुंशी प्रेमचंद ने लगभग 300 से अधिक कहानियां लिखी जिनमें से मुख्य कहानियां निम्नलिखित हैं–
अपनी करनी,अंधेरा,आखिर मंजिल, घमंड का पुतला, कर्मों का फल,कप्तान साहब, आखरी तोहफा,अमृत, कोई दुख ना हो तो बकरी खरीद ला,कवच, ईदगाह,इज्जत का खून,आत्माराम, दंड और आल्हा नाम की कहानियां लिखी है।
प्रेमचंद के नाटक
प्रेमचंद ने तीन नाटकों की रचना की जो कर्बला, प्रेम की वेदी और संग्राम।
इन रचनाओं के अलावा भी प्रेमचंद ने बाल साहित्य में कुत्ते की कहानी,दुर्गादास और रामकथा की रचनाएं की है।
संपादन
प्रेमचंद ने दो पत्रिका माधुरी और मर्यादा का संपादन किया तथा अपनी प्रेस शुरु कर के जागरण नामक समाचार पत्र तथा हंस के नाम से मासिक पत्रिका भी निकाली। इन्होंने अपनी प्रेस का नाम सरस्वती रखा था।
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सारांश : Premchand ka janam kab hua
दोस्तों आज की इस पोस्ट में हमने आपको मुंशी प्रेमचंद के जीवन से संबंधित जैसे जन्म,मृत्यु, रचनाएं, उनकी शैली तथा उपन्यास के साथ-साथ उनके द्वारा लिखी गई कहानियों के बारे में आपको विस्तार से जानकारी दी है।
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सम्बंधित प्रशन : प्रेमचंद का जन्म कब हुआ था
१. मुंशी प्रेमचंदकिस लिए प्रसिद्ध है?
मुंशी प्रेमचंद आधुनिक हिन्दुस्तानी साहित्य के लिए प्रसिद्ध है।
२. प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी है?
प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएं – सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ शामिल है ।
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